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रत्नों का सेनापति मूँगा  ।। 

मूंगा को रत्नों का सेनापति कहा गया हैं मूँगा को सेनापति मानने व कहने का तात्पर्य भी बड़ी अनोखी हैं वास्तव में मूँगा सेनापति ही हैं । अनुशासन पराक्रमी किसी भी समस्याओ के निवारण हेतु रास्ते निर्धारित करने की अद्भुत क्षमता से परिपूर्ण मूँगा सर्वो-चित हैं ।। किसी भी प्रशासनिक स्तर पर कार्य को पूर्ण करने के लिए अनुशासन धैर्य पराक्रम शारीरिक क्षमता की विशेष तौर पर जरूरत होती हैं मूँगा इन्ही सभी जीवन तुल्य सामाजिक घटकों पर अपना प्रभाव स्थापित करता हैं । रक्त वर्ण होने के कारण मूँगा का प्रभाव रक्त पर विशेष प्रभाव रखता हैं । कार्य करने की दक्षता के लिए रक्त का होना और शारीरिक ढाँचे  पर सुदृढ़ होना बेहद अनिवार्य हैं ।

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रत्नों का सेनापति मूँगा  ।।  मूंगा को रत्नों का सेनापति कहा गया हैं मूँगा को सेनापति मानने व कहने का तात्पर्य भी बड़ी अनोखी हैं वास्तव में मूँगा सेनापति ही हैं । अनुशासन पराक्रमी किसी भी समस्याओ के निवारण हेतु रास्ते निर्धारित करने की अद्भुत क्षमता से परिपूर्ण मूँगा सर्वो-चित हैं ।। किसी भी प्रशासनिक स्तर पर कार्य को पूर्ण करने के लिए अनुशासन धैर्य पराक्रम शारीरिक क्षमता की विशेष तौर पर जरूरत होती हैं मूँगा इन्ही सभी जीवन तुल्य सामाजिक घटकों पर अपना प्रभाव स्थापित करता हैं । रक्त वर्ण होने के कारण मूँगा का प्रभाव रक्त पर विशेष प्रभाव रखता हैं । कार्य करने की दक्षता के लिए रक्त का होना और शारीरिक ढाँचे  पर सुदृढ़ होना बेहद अनिवार्य हैं । मूँगा धारण करने के लाभ :- अनुशासनात्मक तौर पर कार्य करने की क्षमता में वृद्धि प्रशासनिक स्तर पर कारवाई करने की क्षमता देना नियम संयम धैर्य में वृद्धि रक्त की कमी को दूर करता हैं साहस को बढ़ाना सरकारी नौकरी में प्रशासनिक स्तर पर लाभप्रद कार्य दिशा का निर्धारण करता हैं सैन्य रणनीतिकार बनाता हैं पुलिस सिपाही सेना व रक्षा से जुड़े कार्यों में सहायक कार्य करने की क्षमता में वृद्धि करने वाला निडरता आंतरिक भय को नष्ट करने वाला कार्यों में सफलता हेतु मेहनत करने की क्षमता देते हैं लक्ष्य प्राप्ति में बेहद ही कारक रत्न हैं मूँगा ।।   ये सभी प्रकार के गुण मूँगा धारण करने वाले जातक जातिका के अंदर देखने को मिल सकते हैं । परंतु इन सभी चीजों के एक दोष ये भी हैं की क्रोध की अधिकता ऐसे व्यक्ति में ज्यादा देखने को मिल सकती हैं ।। ये प्रशासनिक मूल्यों पर अपने व्यक्तित्व का निर्धारण करने वाले होते हैं , जो कही न कही सीधे कार्य करने वाले होते हैं । यदि माणिक्य राजा और पिता हैं मोती रानी और माता हैं तो मंगल सेनापति और भाई हैं ।। सामान्यतः मेष कर्क सिंह वृश्चिक धनु मकर व मीन लग्न के जातकों के लिए मूँगा सर्वो-चित्त हैं इन लग्नों के जातक मूँगा धारण कर सकते हैं किन्तु ध्येय वाली बात पुनः ज्योतिषीय गणना करवाना उचित ।। बिना ज्योतिषीय परीक्षण के किसी भी लग्न के जातकों को किसी भी प्रकार का रत्न धारण नहीं करनी चाहिए ।। क्योंकि हर-एक व्यक्ति का प्राकृतिक बनावट अलग अलग होती हैं इसी कारण से ग्रहों के प्रभाव भी अलग अलग होते हैं अतः किसी ज्योतिषविज्ञ से उचित सलाह व दिशा निर्देश ले कर के ही किसी रत्नों का निर्णय करना चाहिए ।।