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रत्नों की रानी मोती ।। 

रत्नों की दुनियाँ में यदि राजा माणिक्य हैं तो मोती को रत्नों की रानी कहा गया हैं । मोती माता शक्ति की प्रतिनिधित्व करती हैं ये शिव के प्रियतमा जगत माता आदिशक्ति की शक्ति परिलक्षित होती हैं , मातृ भाव को परिलक्षित करती हैं , माणिक्य यदि आत्मा हैं तो मोती आत्मा को प्राणवायु प्रदान करने वाली शक्ति हैं भाव हैं हृदय को परिलक्षित करने वाली रत्न मोती हैं । माता के ममता को प्रदर्शित करने वाली कोमलता को दर्शाने वाली शक्ति की परिसूचक हैं व्यक्ति का आत्मबल हैं हृदय का आत्मबल हैं ।

कारक ग्रह चंद्र हैं माता पर प्रभाव डालने वाला रत्न आत्मबल को बढ़ाने वाला सुंदरता मस्तिष्क को बल प्रदान करने वाला यात्रा करवाने वाला ग्रह चंद्र पर आधिपत्य रत्नों की रानी का हैं ।।

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रत्नों की रानी मोती ।।  रत्नों की दुनियाँ में यदि राजा माणिक्य हैं तो मोती को रत्नों की रानी कहा गया हैं । मोती माता शक्ति की प्रतिनिधित्व करती हैं ये शिव के प्रियतमा जगत माता आदिशक्ति की शक्ति परिलक्षित होती हैं , मातृ भाव को परिलक्षित करती हैं , माणिक्य यदि आत्मा हैं तो मोती आत्मा को प्राणवायु प्रदान करने वाली शक्ति हैं भाव हैं हृदय को परिलक्षित करने वाली रत्न मोती हैं । माता के ममता को प्रदर्शित करने वाली कोमलता को दर्शाने वाली शक्ति की परिसूचक हैं व्यक्ति का आत्मबल हैं हृदय का आत्मबल हैं । कारक ग्रह चंद्र हैं माता पर प्रभाव डालने वाला रत्न आत्मबल को बढ़ाने वाला सुंदरता मस्तिष्क को बल प्रदान करने वाला यात्रा करवाने वाला ग्रह चंद्र पर आधिपत्य रत्नों की रानी का हैं ।। मोती धरण करने से लाभ :- मानसिक क्षमता में वृद्धि निर्णय लेने की क्षमता में वृद्धि हृदय को मजबूत करना पराक्रम में वृद्धि आलस्य को दूर करना रचनात्मकता को दिशा देना प्रमुख तौर पर मानसिक शांति भावनात्मक स्थिरता प्रदान करना मानसिक रोगों पागलपन से मुक्ति के लिए क्रोध के नाश के लिए ट्रांसपोर्ट व मार्केटिंग के क्षेत्र में सफलता का कारक जलीय तत्व के व्यापारिक क्षेत्र में वृद्धि हेतु सुख समृद्धि और भौतिक तौर पर समृद्धि प्रदान करने वाला कला के क्षेत्र में सफलता में सहायक प्रेम को बढ़ाने में सहायक ।। मूलतः रत्नों की रानी मोती सभी लग्नों के जातक जातिका के लिए प्रतिकूल प्रभाव रखने वाली होती हैं । सिंह धनु व कुम्भ लग्न को यदि छोड़ दिया जाए तो मेष वृषभ मिथुन कर्क कन्या तुला वृश्चिक मकर व मीन सभी लग्नों के जातक मोती धारण कर सकते हैं किन्तु चंद्र की स्तिथि की जांच किसी भी ज्योतिषविज्ञ से करवा लेनी चाहिए ।। क्योंकि ग्रहों की स्तिथि और ग्रहों का प्रभाव ही रत्नों के निर्णय में सबसे बड़े कारक सिद्ध होते हैं ।। जैसे सूर्य के रत्न माणिक्य पिता से संबंधित मामलों में सहायक होते हैं ठीक उसी प्रकार मोती माता से संबंधित मामलों में सबसे बड़े कारक सिद्ध होते हैं स्त्रीत्व के गुण प्रेम भाव सौहार्द को बढ़ाने वाले देखे जाते हैं ।। इन्ही सभी गुणों को देखते हुए रत्नों में मोती को रत्नों की रानी कहा गया हैं ।। मोती का विशेष गुण ये हैं की जिस प्रकार माता का भाव अपने सभी संतानों के लिए अनुकूल प्रभाव रखते हैं मोती भी ठीक उसी प्रकार अपना अनुकूल प्रभाव रखते हैं ।।

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