असाधारण ज्योतिषीय आधारों का विश्लेषण
कुछ ऐसे तथ्यों के आधार पर ज्योतिषीय विश्लेषण जो मेरे अपने जातक व जातिका के कुंडली से संदर्भित मामलों को लेकर प्रस्तुत किया गया हैं ।
एक जातक की मकर लग्न की कुंडली हैं सप्तमेश चंद्रमा तृतीय भाव में मौजूद हैं साथ ही साथ चतुर्थेश और एकादशेश मंगल की युति तृतीय भाव में हैं ।
जातक अपने छोटे भाई व बहनों के प्रति बेहद ही गंभीर व संवेदनशील हैं । किन्तु , उसके भाई व बहन का उसके समक्ष आते ही उग्र स्वरूप को धारण कर लिया जाता हैं । जबकि वही भाई और बहन एक दूसरे के प्रति बेहद ही संवेदनशील हैं । जातक अपने सभी भाई बहनों में सबसे बड़ा हैं । किन्तु , थोड़ी विवादित स्तिथि देखने को मिलता हैं । जातक के भाई बहन समृद्ध हैं किन्तु , जातक के समक्ष आते ही बेहद ही गुस्सैल प्रवृति को धारण कर लिया जाता हैं । ऐसी अवस्था जो जातक का खून तक कर देने का मन जातक के छोटे भाई बहनों को करने लगता हैं । आखिर ऐसी नौवत क्यों आई प्रेम भी ऐसा की छोटे भाई बहनों का मन सब कुछ लूटा देने का मन करें किन्तु , जातक के समक्ष होते ही विवादित स्वरूप । जातक के छोटे भाई बहनों की भी कुंडली हैं तत्पश्चात कुछ असाधारण ज्योतिषीय विश्लेषण किया गया हैं । जो नए और पुराने ज्योतिषियों हेतु विशेष तौर पर सहयोगी सिद्ध होगा ।
ज्योतिषीय आधार पर विश्लेषण
एकादशेश व चतुर्थेश मंगल तृतीय भाव में सप्तमेश चंद्रमा की युति जातक से पूर्व उसके भाई और बहनों का जीवन में आर्थिक सामाजिक और कामनाओ से संबंधित मामलों को लेकर समृद्धि को प्राप्त हैं ।
चंद्रमा का तृतीय भाव में चतुर्थेश मंगल के साथ युति जाताक का अपने भाई व बहनों के प्रति संवेदनशीलता में वृद्धि करता हैं ।
जातक के छोटे भाई बहनों भी अति संवेदनशील स्वभाव से परिलक्षित हैं । अपनी भावनाओ पर अनियंत्रित स्वभाव देखने को मिला हैं । चंद्रमा से साथ मंगल की युति भावनात्मक स्तर से अनियंत्रित कर देता हैं किन्तु , तृतीय भाव में होने से जातक के छोटे भाई और बहनों से संबंधित मामलों को लेकर अपने भावनाओ पर नियंत्रण रख पाना जातक व जातक के भाई व बहनों के लिए विशेष तौर पर परेशानियों को जन्म देने वाला बनता हैं । मातृ पक्ष से भी भावनाओ में अनियंत्रित अवस्था देखे जाने की पुष्टि हुई हैं । मातृ संबंधित मामलों को लेकर भावनात्मक आघात पारिवारिक स्तिथि में विवादित स्तिथि को दर्शाता हैं ।
विशेष ज्योतिषीय सूत्र :- मंगल भाई का कारक हैं और चंद्रमा माता का
जब मैंने इनके भाई व बहनों की कुंडली देखा तो एक की कुंडली में चंद्रमा व मंगल की युति अष्टम भाव में और दूसरे की कुंडली में चंद्रमा एकादश भाव में उच्च के होकर केमद्रुम दोष के साथ बैठे हुए हैं ।
चंद्रमा के साथ मंगल की युति अष्टम भाव में भावनात्मक आघात का परिचायक बना वही माता व भाई के संदर्भ में पीड़ादायक स्तिथि को निर्धारित करता हैं । अष्टम भाव से वैराग्य व सन्यासी प्रवृति को भी निर्धारित किया जाता हैं । अर्थात इस कुंडली के स्तिथि अनुसार जातक के भाई व माता को वैराग्य के प्रति सवेदना जागृत अवस्था में होंगी ऐसा कहना गलत नहीं होगा ।
वही दूसरे बहन की कुंडली में चंद्रमा उच्च के होकर लग्न कुंडली में केमद्रुम दोष के साथ विराजमान हैं । एकादश भाव बड़े भाई व बहनों का ज्योतिष में निर्धारत हैं । केमद्रुम दोष से परिलक्षित चंद्रमा अनियंत्रित भावना को निर्धारित करता हैं । किन्तु , जातिका की रुचि अपने बड़े भाई के प्रति बेहद ही संवेदनशील हैं । अपनी इक्षाओ के प्रति बेहद संवेदनशील हैं । जातक की भी स्तिथि ऐसी ही हैं उसके अपनी इक्षाओ के प्रति बेहद ही संवेदनशील हैं ।
जातक के दो भाई व बहनों की कुंडली से ये पता चलता हैं की जातक के ऊपर दो प्रकार के स्वभाव का प्रभाव देखने को प्राप्त हैं । एक तरफ वैराग्य और दूसरी तरफ भौतिक तौर पर उत्पन्न कामनाओ की पूर्ति हेतु प्रतिवद्धता को निर्धारित करता हैं ।
जातक के दोनों भाई बहनों की कुंडली से दो अलग अलग ध्रुव से परिलक्षित विचार जातक को मानसिक तौर पर अस्थिर कर के रख दिया हैं ।
कुछ ऐसे ही आधार पर जो फलित ज्योतिष के गुप्त व राहस्यमयी सूत्र हैं उसका विवेचन करने जा रहा हूँ ।
- लग्न में मंगल शनि राहू व सूर्य का होना सप्तम भाव का सप्तम भाव हैं अर्थात जीवनसाथी के साथ जातक के खुद की मनोदशा से उत्पन्न सोच द्वारा विवादित स्तिथि को जन्म दिया जाता है ।
- द्वितीय भाव में मंगल शनि राहू व सूर्य कुटुंबजनों के मध्य तीखी और तीक्ष्ण वाणी के माध्यम से विवादित स्तिथि व झगड़े को इंगित करता हैं ।
- उपरोक्त स्तिथि अनुसार तीसरे भाव में छोटे भाई बहनों को लेकर विवादित स्तिथि को जन्म दिया जाता हैं ।
- चौथे भाव में घरेलू स्तर पर
- पंचम स्थान में संतान व गुरु से संबंधित मामलों में
- षष्ठम भाव में कुटुंब जनों से संबंधित मामलों में
- सप्तम भाव में जीवनसाथी , साझेदारो व मित्रों से संबंधित मामलों में
- अष्टम में व्यक्ति खुद के साथ खुद में ही विवादित स्तिथि का सामना करता हैं
- नवम व दशम में पिता के साथ
- एकादश में बड़े भाई व बहनों के साथ
- द्वादश भाव में वाह्य स्तर पर संबंधित व्यक्तियो के मामलों में
द्वितीय विशेष सूत्र
- यदि उपरोक्त स्तिथि अनुसार मंगल व सूर्य की राशि में राहू / केतु व शनि हो या फिर शनि की राशि में सूर्य मंगल व राहू / केतु हो तो उपरोक्त स्तिथि अनुसार विवादित स्तिथि देखने को प्राप्त होती हैं ।
- उपरोक्त कोई भी ग्रह का संबंध चंद्रमा से हो तो एक बात की पुष्टि ये हैं घरेलू स्तर पर व पारिवारिक स्तर पर विवादित स्तिथि देखने को प्राप्त होती हैं । अन्य ऊपर निर्दिष्ट सूत्र निर्धारित होगा ।
- राशि व नक्षत्र की स्तिथि यदि एक समान उपरोक्त स्तिथि अनुसार देखने को मिले तो उपरोक्त संबंधित समस्याओ में अप्रत्याशित स्तर पर परेशानी बढ़ेंगी ।
- यदि कुंडली में केमद्रुम दोष चंद्रमा से संबंधित मामलों को लेकर स्थापित हो तो एक बात याद रखना जिस भाव में हो उस भाव से संबंधित पारिवारिक रिश्तेदारों को परेशानी होती हैं ।
- यदि कुंडली में अन्य किसी और प्रकार से ग्रह की युति दृष्टि व ग्रह स्तिथि अनुसार किसी प्रकार से अच्छा या बुरा स्तिथि जिस जिस भाव में हो उस उस भाव से संबंधित पारिवारिक सदस्यों के सुख व दुख की स्तिथि ज्ञात करनी चाहिए ।
- उपरोक्त संबंधित सूत्र मेरे द्वारा आजमाया हुआ हैं जिसके संदर्भ में मेरी खुद के अनुभव की पुष्टि हैं ।
ज्योतिषविज्ञ :- आर के मिश्र
संपर्क सूत्र :- ६२०२१९९६८१
BhagalpurAstrology & Research Centre
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