जब भी कोई जातक रत्न धारण करें, उससे पहले रत्नों को जागृत कर लेना चाहिए क्योंकि रत्न सुप्त अवस्था में होते हैं और वे अपना कार्य पूर्ण रूप से करने में असमर्थ होते हैं। इसलिए रत्नों को धारण के पूर्व उन्हें जागृत कर लेना चाहिए, जिससे वे अपना कार्य कर पाने में समर्थ हों और उनसे धारक को समुचित लाभ प्राप्त हो सके।
इस प्रक्रिया में उपयोगी समस्त मन्त्र इस प्रकार से हैं :-
स्वयं का शुद्धिकरण :-
ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपि वा ।
यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यंतरः शुचिः ॥
आचमनी :- ॐ केशवाय नमः
ॐ माधवाय नमः
ॐ नारायणाय नमः
हाथ धोयें :-
ॐ गोविंदाय नमः
पंचामृत से अभिषेक :-
पयो दधि घृतं चैव मधुशर्कर युतम।
पंचामृतं मयाऽऽनीतं स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम् ॥
गंगाजल से स्नान :-
मन्दाकिन्यास्तु यद्वारि सर्वपापहरं शुभम् ।
तदिदं कल्पितं देव स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम् ॥
चन्दन :-
श्रीखण्डं चन्दनं दिव्यं गन्धाढ्यं सुमनोहरम् ।
विलेपनं सुरश्रेष्ठ चन्दनं प्रतिगृह्यताम् ॥
कुमकुम :-
ॐ कुमकुम कामना दिव्यं कामिनी काम सम्भवाम।
मुमकुमे नार्चितो में देव गृहाण परमेश्वर ॥
अक्षत :-
अक्षताश्च सुरश्रेष्ठ कुंकुमाक्ताः सुशोभिताः ।
मया निवेदिता भक्त्या गृहाण परमेश्वर ॥
पुष्प :-
माल्यादीनि सुगन्धीनि मालत्यादीनि वै प्रभो ।
मयाऽऽह्तानि पुष्पाणि पूजार्थं समर्पयामि ।।
धूप :-
वनस्पतिरसोद्भूतो गन्धाढ्यः गन्ध उत्तमः ।
आघ्रेयः सर्वदेवानां धूपोऽयं प्रतिगृह्यताम् ॥
दीप :-
साज्यं च वर्तिसंयुक्तं वह्निना योजितं मया ।
दीपं गृहाण देवेश ! त्रैलोक्यतिमिरापहम् ॥
नैवेद्य :-
त्वदीयं वस्तु गोविंदं गृहाण परमेश्वरम।
आहार भक्ष्य भोजनं नैवेद्यं प्रतिगृह्यताम् ॥
ग्रहों का ध्यान मंत्र :-
सूर्य :-
ॐ भूर्भुवः स्व: कलिंगदेशोद्भव कश्यप गोत्र भो सूर्य! इहागच्छ, इहा तिष्ठ ॐ सूर्याय नमः, श्री सूर्यमावाहयामि, स्थापयामि।
चन्द्र :-
ॐ भूर्भुवः स्व: यमुनातीरोद्भव आत्रेय गोत्र शुक्लवर्ण भो सोम! इहागच्छ, इहा तिष्ठ ॐ सोमाय नमः, श्री सोममावाहयामि, स्थापयामि।
मंगल :-
ॐ भूर्भुवः स्व: अवन्तिदेशोद्भव भारद्वाज गोत्र रक्तवर्ण भो भौम! इहागच्छ, इहा तिष्ठ ॐ भौमाय नमः, श्री भौममावाहयामि, स्थापयामि।
बुध :-
ॐ भूर्भुवः स्व: मगधदेशोद्भव आत्रेय गोत्र पीतवर्ण भो बुध! इहागच्छ, इहा तिष्ठ ॐ बुधाय नमः, श्री बुधमावाहयामि, स्थापयामि।
बृहस्पति :-
ॐ भूर्भुवः स्व: सिन्धुदेशोद्भव आङ्गिसर गोत्र पीतवर्ण भो गुरो! इहागच्छ, इहा तिष्ठ ॐ बृहस्पतये नमः, श्री बृहस्पतिमावाहयामि, स्थापयामि।
शुक्र :-
ॐ भूर्भुवः स्व: भोजकटदेशोद्भव भार्गव गोत्र शुक्लवर्ण भो शुक्र! इहागच्छ, इहा तिष्ठ ॐ शुक्राय नमः, श्री शुक्रमावाहयामि, स्थापयामि।
शनि :-
ॐ भूर्भुवः स्व: सौराष्ट्रदेशोद्भव कश्यप गोत्र कृष्णवर्ण भो शनैश्चर! इहागच्छ, इहा तिष्ठ ॐ शनैश्चराय नमः, श्री शनैश्चरमावाहयामि, स्थापयामि।
ग्रहों का बीजमंत्र :-
सूर्य :-
ऊँ घृणिः सूर्याय नम:
चन्द्र :-
ऊँ सों सोमाय नम:
मंगल :-
ऊँ अं अंगारकाय नम:
बुध :-
ऊँ बुं बुधाय नम:
बृहस्पति :-
ऊँ बृं बृहस्पतये नम:
शुक्र :-
ऊँ शुं शुक्राय नम:
शनि :-
ऊँ शं शनैश्चराय नम:
ASTROLOGER :- MR. R.K.MISHRA
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BHAGALPUR ASTROLOGY & RESEARCH CENTRE