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ज्योतिषीय फलादेश विधि ( भाग १ )

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ज्योतिषीय फलादेश विधि ( भाग १ )

ज्योतिषीय फलादेश विधि ( भाग १ )

एक जातक मेरे पास आया और उसने अपना एक प्रश्न रखा की मैं एक समृद्धशाली परिवार का लड़का हूँ । और मेरे दो  भाई और दो बहन हैं मुझे लगा कर के कुल ५ भाई और बहन हैं । वर्तमान पारिवारिक स्तिथि ऐसी हैं की मैं अपने घर का सबसे बड़ा लड़का हूँ । मेरे एक बहन के बाद एक भाई हैं तत्पश्चात बहन और भाई हैं । सभी भाई बहनों में यदि मेरी निजी स्तिथि की बात की जाए तो आर्थिक स्तर पर मैं कही नहीं ठहरता । मेरी वर्तमान आय न के बराबर हैं और जहाँ तक मेरे ही परिवार के अन्य सदस्यों की बात की जाएँ तो मेरा एक भाई प्रशासनिक स्तर पर प्रशासन का हिस्सा हैं । जिसकी वर्तमान आय १ लक्ष  का मासिक आय है । दूसरा भाई सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं जिसका आमदनी १.५ लक्ष से २ लक्ष तक का मासिक आय हैं । सभी मुझसे छोटे हैं ! दोनों बहनों का विवाह हो चुका हैं बड़ी बहन बड़े अधिकारी की पत्नी हैं और छोटी बहन बड़े व्यापारी की पत्नी हैं । दोनों बहनों का रहन सहन उच्च स्तर का हैं । मेरे परिवार को देख कर ऐसा कहना की इस  व्यक्ति को किसी भी प्रकार की कोई कमी होंगी संभव नहीं हैं । ऐसी पारिवारिक स्तिथि सामाजिक स्तर पर होने के पश्चात मैं अपने घर का आर्थिक तौर पर नालायक हूँ । मैं जो भी कार्य को अपने हाथ में लेता हूँ वो किसी न किसी कारण से नष्ट हो जाता हैं । कभी किसी के द्वारा मेरे कार्यों को नष्ट किया जाता हैं कभी उचित संसाधन के अभाव में मेरे रोजगार का नाश हो जाता हैं । वर्तमान स्तिथि ऐसी हैं की सभी भाई बहनों में मैं सबसे बड़ा लड़का हूँ और सामाजिक स्तर पर तो आप जानते ही हैं की बड़े लड़के की जबाबदेही कैसी होती हैं ? उस जबाबदेही के कारण सभी रिश्तेदार और मोहल्ले के लोग मेरे विवाह को लेकर हमेशा पूछते रहते हैं की विवाह कब करोगे ? वास्तव में मैंने अनुभव किया की मेरी बातों को कोई अहमियत नहीं देता । यहाँ तक की मेरे पिताजी हमेशा मुझे धिक्कारते हैं की कहाँ से ये नालायक मेरे सिर पर आ गया की किसी कर्म का नहीं हैं । मैंने अपने विद्यार्थी जीवन में भी बड़ा ही विचित्र अनुभव किया जिस हॉस्टल में रहता था उसमें कभी भी शांति से नहीं रहा छोटी मोटी बातें कब वृहद्द रूप ले लेती थी पता ही नहीं चलता था । जिस संस्थान में पढ़ने जाता तो किसी न किसी प्रकार की अड़चने आ जाया करती थी । पढ़ाई में भी विचित्र तरह की स्तिथि का सामना करना पड़ा । पिताजी बड़े ही सीधी बात करने वाले स्वभाव वाले व्यक्ति थे तो वे सीधे सीधे फरमान जारी कर देते थे ! इसी कारण से पिताजी तक बातें पहुँचने का अर्थ था की वो सीधे सीधे मेरी पढ़ाई रुकवा देते और घर में बैठा देते । वर्तमान स्तिथि भी ऐसी ही हैं वो हमेशा ही मुझे धिक्कारते रहते हैं की इस नालयक का क्या होगा ? मेरे सभी छोटे भाई बहन भी मेरे बारे में अच्छी राय नहीं रखते उन सभी को भी मैं अपने परिवार का एक बोझिल तथ्य ही लगता हूँ । शायद इसी कारण वे मुझसे सही से बात तक नहीं करते । मैं अपने जीवन की इस परिस्तिथि से इतना चिड़चिड़ा सा हो गया हूँ की मैं छोटी छोटी बातों पर गुस्सा कर बैठता हूँ । मेरे न तो अत्यधिक मित्र हैं और न ही किसी रिश्तेदार के नज़रों में मेरा कोई विशेष महत्व हैं । परिवार के अन्य सभी सदस्यों को मिलने वाले मान सम्मान को देखता हूँ तो बेहद ही चिंतनीय स्तिथि में खुद को पाता हूँ की ईश्वर की क्या मर्जी हैं की मैं नालायक रूपी तथ्य अपने परिवार पर एक बोझ बन गया हूँ । मेरी ये बातें सुनकर और देखकर औरों को होता हैं की मैं दूसरों को देख कर जलता हूँ । किन्तु मैं खुद अपने ही अंदर के इस समस्या से इस तरह परेशान हूँ की कोई हैं जिसके नजर में मेरी भी इज्जत हो मैं भी किसी के लायक हूँ । मैं अपनी इस आंतरिक पीड़ाओ को किसी के साथ शेयर करने से भी आज डरता हूँ क्योंकि सामाजिक स्तर पर मैं आर्थिक तौर पर पीछे रहने के कारण नालायक और अभागे की मानसिकता से ग्रसित हूँ ।

                                          मुझे आपसे इस बात को जानना हैं की मेरी इस स्तिथि का कारण क्या हैं और इसका निराकरण क्या हैं । मेरी जन्मपत्री को देख इसके बारें में बताए ! की ऐसी कौन सी स्तिथि बनी हैं जो मुझे परेशान कर रही हैं । क्या मैं कभी अपने जीवन में मान सम्मान को पा सकूँगा ? क्या मैं उस स्थान पर खुद को स्थापित कर सकूँगा जिस स्थान पर पहुँचने के पश्चात मेरे परिवार के हर एक सदस्य को मुझपर गर्व हो ? मैं अपने परिवार पर एक बोझ बनकर न रहूँ ? क्या मेरे जीवन में मेरी इक्षाओ का सम्मान हो सकेगा ? इन सभी मूल प्रश्नों का उत्तर मैं आपसे चाहता हूँ ! कृपया मुझे मेरे भविष्य के बारें में बताएं की मेरा भविष्य क्या हैं और कैसा हैं ?  

उपरोक्त प्रश्न इस जातक का इसीलिए लिया गया हैं क्योंकि ऐसे कई लायक युवा आज इस स्तिथि व इससे बत्तर स्तिथि से पीड़ित अवस्था में हैं । और उन्हे लगता हैं की उनसे बदत्तर स्तिथि शायद किसी और की नहीं हो सकती ! शायद आप सभी के माध्यम से उन सभी को कुछ दिशा निर्देश इस लेख के माद्यम से मिलें ऐसी कामना हैं । अर्थात इस लेख को मैं आप सभी के माध्यम से जरूरत मंद तक पहुंचाने की अनुसंसा करता हूँ ।

उपरोक्त प्रश्न संबंधित मामलों हेतु मैं जातक से संबंधित किसी भी प्रकार से जातक की कुंडली को आप सभी के समक्ष रखने में असमर्थ हूँ । क्योंकि किसी भी प्रकार से किसी की भी निजता का उलँघन करना नहीं चाहता । सिर्फ और सिर्फ ज्योतिषीय सूत्रों के आधार पर इस तथ्य पर चर्चा करूँगा इसके लिए मुझे क्षमा करें । विशेष आपके सहयोग की कामना आंतरिक हृदय से करता हूँ ।

जातक की कुंडली में जन्मकालीन ग्रह स्तिथि स्पष्ट :-

लग्नेश वक्र अवस्था में एकादश भाव में स्थित हैं , एकादशेश व धनेश तृतीय भाव में स्थित हैं , लग्न में राहू पराक्रमेश व दशमेश के साथ युति संयुत हैं , सिंह राशिस्थ सप्तमस्थ केतु विराजमान हैं ,  सप्तमेश चतुर्थ भावस्थ विरोधी की राशि में स्थित हैं , सुखेस व भाग्येश वक्र अवस्था में , पंचमेश व अष्टमेश के साथ पंचम भावस्थ हैं ।

विशेष :- सिर्फ ज्योतिषीय कार्य से संयुक्त व्यक्ति ही इस ग्रह स्थिति को स्पष्ट कर सकते हैं इतनी पारदर्शिता इस ग्रह स्पष्टीकरण में रखी गई हैं ।

फलित ज्योतिष :-

  • ज्योतिषीय सूत्र अनुसार लग्न में राहू और मंगल की युति मानसिक समस्या को देने वाला बनाता हैं ।

जिससे जातक मानसिक तौर पर चिड़चिड़ा होकर गुस्सा करता हैं और घर के समान की क्षति कर सकता हैं । या फिर अपनी क्षति कर सकता हैं ।

  • ज्योतिषीय सूत्र अनुसार कुंडली के किसी भी भाव के लिए उसका दूसरा भाव मारक भाव होता हैं उसमे भी यदि अपोक्लीम भाव से संबंध हो तो ऐसे में निश्चित मारक होता हैं । किन्तु , केंद्र और त्रिकोण के संबंध में कुछ विशेष रूप से सतर्कता बरती जाती हैं क्योंकि केंद्र और त्रिकोण के संबंध में कुछ और परिस्थिति निर्धारित होती हैं ।

उपरोक्त ग्रह स्तिथि अनुसार जातक के छोटे भाई बहनों को बेहद ही समृद्धशाली होना व्यक्त करता हैं ।

  • चतुर्थेश व भागयेश पंचमेश व अष्टमेश के साथ पंचमस्थ संयुत होकर एकादशस्थ लग्नेश के साथ परस्पर दृष्टि संयुक्त हैं ।

उपरोक्त ग्रह अनुसार जातक को शिक्षा के क्षेत्र में परेशानियों के साथ उच्च शिक्षा का योग बनाता हैं किन्तु ध्यान रहे एकादशेश का पराक्रम के भाव में स्थित होना जातक के खुद के प्रयास से ! न की किसी और के सहयोग से क्योंकि सहभागिता व सहयोग के भाव में केतु विराजमान हैं । किसी न किसी अज्ञात कारणों से आकस्मिकता भरी कारणों से जातक को शिक्षा के भी क्षेत्र में भौतिक तौर पर समस्याओ का सामना करता हैं ।

  • षष्ठेश अष्टम भावस्थ वक्र लग्नेश से पूर्ण रूप से दृष्ट हैं ।

उपरोक्त ग्रह स्तिथि से कारण भी जातक को मानसिक समस्याओ का सामना करना पड़ता हैं और जीवन में ऐसी ऐसी अनुभूतियो का सामना करना पड़ता हैं जिसके बारे में दूर दूर तक किसी प्रकार की समभावना के बारें में कोई सोच तक नहीं सकता ।

  • सिंह राशि स्थित सप्तमस्थ केतु सहभागिता व सहयोग में कमी को दर्शाता हैं । मित्रों की कमी को व्यक्त करता हैं सहयोग की कमी को व्यक्त करता हैं । सप्तमेश का चतुर्थ भावस्थ होना यहाँ पर पारिवारिक स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव को स्थापित करता हैं । माता से भी उचित सहयोग प्राप्त करने में कमी को दर्शाता हैं ।

विश्लेषणार्थ :-  आर के मिश्र द्वारा

BHAGALPUR ASTROLOGY & RESEARCH CENTRE

ADDRESS:- Roy Bahadur Surya prasad Road Jhawa Kothi Near New Durga Sthan Gali  Chhoti Khanjarpur Bhagalpur 812001

WEB:- https://www.bhagalpurastrology.com

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