विवाह संस्कार का औचित्य।।
वैदिक वाङ्मय यम और यमी के कथा के आधार पर और निर्णय सिंधु के निर्णयात्मक सिद्धांतों के आधार पर विवाह सामाजिक समरसता और समाज के प्रति कर्तव्यनिष्ठा और सामाजिक उत्थान की धूरी पर निर्धारित कर्म सिद्धांत हैं ।
जिसके माध्यम से सामाजिक वाङ्मय के स्तर से जुड़ने और सामाजिक स्तर पर कर्तव्यनिष्ठ होने का प्रमाण बनता हैं ।
यदि विवाहित जातक व जातिका समाज के प्रति उदासीन प्रवृति से लक्षित हैं तो उनके वैवाहिक जीवन पर धिक्कार के अलावा और क्या हो सकता हैं ।
विवाह दो अलग अलग परिवारों के अलग अलग परिवेश में जीवंत स्वरूप का एकांकीकरण करना हैं । जिसमें व्यतिगत तौर पर सोचो तो व्यक्ति को कितना उदार होना पड़ेगा ?
जिसे न आप जानते हो न पहचानते हो एक अज्ञात तथ्य का परिचायक हैं । उसके साथ जीवन शैली व परिवेश का भी कोई अता व पता नहीं उसके पश्चात वैवाहिक संबंध का स्थापत्य होना व्यक्तिगत तौर पर सामाजिक स्तर पर कितना महत्वपूर्ण हो जाता हैं ।
इसीलिए महर्षि वात्स्यायन के कामशास्त्र के माध्यम से इस बात की पुष्टि हो जाती हैं कि यदि व्यक्तिगत तौर पर चाहे स्त्री हो या पुरुष यदि किसी भी प्रकार से शारीरिक मानसिक व्यावहारिक स्वाभाविक व चारित्रिक स्तर से परिपूर्ण न हो तो वो संबंध पारिवारिक व सामाजिक स्तर पर बेहद ही पीड़ादायक हो जाता हैं । ऐसे में इनका त्याग करना चाहिए ।।
मैं वर्तमान में उन सभी विवाहित जातक व जातिका का सबसे बड़ा आलोचक हूं ! जो सामाजिक समरसता के आधार पर रिश्ते सिर्फ और सिर्फ अपने इंद्रिय तृप्ति हेतु वैवाहिक संबंध को स्थापित करते हैं । और जिस सामाजिक व्यवस्था के अनुरूप उनका वैवाहिक संबंध का स्थापत्य हुआ हैं उसी सामाजिक कर्तव्यों के प्रति उनके द्वारा मन कर्म भाव व विचार से रोषपूर्ण स्थिति को प्रकट किया जाता हैं ।।
आज बढ़ते तलाक और सामाजिक स्तर पर अमान्य संबंध का प्रचलन इसी कारण बढ़ता जा रहा हैं । जो पारिवारिक और सामाजिक हित के लिए बेहद ही गमगीन स्थिति को प्रदर्शित करता हैं ।
मैं उन सभी विवाहित पूर्वजों व वर्तमान में जीवंत सभी विवाहित स्त्री व पुरुषों का पुरजोर विरोध करता हूं जो सामाजिक स्तर पर निर्मित संबंध तो स्थापित करते हैं किंतु , सामाजिक कर्तव्यों के प्रति बेहद उदासीनता का परिचायक अपने निजी स्वार्थ हेतु इसका खंडनात्मक क्रिया करते हैं ।
मैं और विशेष इस पक्ष में यहां अभी समयाभाव के कारण नहीं लिख पा रहा हूं इसके लिए क्षमप्रार्थी हूं ।।
आगे कभी आप सभी से मुलाकात यदि हुई तो विशेष चर्चा निश्चित होगी ।।
आपका स्नेही ।।
ज्योतिषविज्ञ :- आर के मिश्र
Bhagalpur Astrology & Research Centre
Con:- 6202199681