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रत्न निर्णय

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रत्न निर्णय

रत्नों का राजा माणिक्य ।।  

ज्योतिष मूलरूप से काल पुरुष के शरीर
का ही मूलरूप हैं काल पुरुष साक्षात शिव हैं शिव ही परम ब्रह्म हैं जिनका एक अंग हम सभी का सौरमंडल हैं सभी सौर मण्डल का प्रमुख उसका तारा हैं ।। हर एक तारा अपने मण्डल का प्रमुख होता हैं । ठीक उसी प्रकार हम सभी के सौर मण्डल का प्रमुख अर्थात मुखिया श्री सूर्य-आदित्य नारायण  एक तारा ही अपने मण्डल में अपने परिवार के सदस्यों का अर्थात मौजूद ग्रहों को संचालित करते हैं अपने चुंबकीय प्रभाव से जिसके कारण सौर मण्डल में मौजूद ग्रह अपने तारों के चारों और भ्रमण करते हैं ठीक उसी प्रकार जैसे की चंद्रमा हर एक ग्रह के चारों और भ्रमण करते हैं ।
                         यही प्राकृतिक स्तिथि हर-एक मण्डल के तारों को उसका प्रमुख पिता तुल्य मुखिया व अधिकारी बनाता हैं हर एक मण्डल के तारा प्रमुख अर्थात सूर्य के स्तिथिनुसार उसके प्रभाव और वर्चस्व को निर्धारित करता हैं । इसी पिता सूर्य नारायण के गुण और स्तिथि को धारण किए हुए हैं जिसका गुण रत्नों में माणिक्य को रत्नों का राजा बनाता हैं ।

माणिक्य धारण करने से लाभ

रोगों में कमी

इम्यूनिटी पावर को विटामिन D द्वारा बढ़ाने में सहायक

पैतृक संबंधों में सुधार

आँखों से संबंधित समस्याओ में कमी

इज्जत प्रतिष्ठा व वर्चस्व में वृद्धि

चर्मरोगों से निजात

सरकारी नौकरी प्राप्ति में सहायक

राजनीतिक स्तिथि में पकड़

राज सिंहासन के कारक
पिता से संबंधित सुख

पुश्तैनी जमीन ज़्यादाद से संबंधित मामलों में सहायक

कार्य क्षेत्र में पदोन्नति के कारक होते हैं माणिक्य ।।

ये कुछ मूल रूप से सीधे तौर पर माणिक्य रत्न अपना प्रभाव रखते हैं किन्तु , इसके लिए ज्योतिषीय गणना करवाना अति आवश्यक हैं क्योंकि सभी लग्नों और राशियों के जातक और जातिका के लिए माणिक्य शुभ व लाभप्रद नहीं हैं ।
साधारणतया यदि आपका जन्म मेष वृषभ कर्क सिंह व धनु लग्न में हुआ हो तो माणिक्य रत्न धारण किया जा सकता हैं किन्तु लग्न में सूर्य की स्तिथि इसका निर्धारण करेंगे की रत्न धारण किया जाए या नहीं इसके लिए किसी ज्योतिषविज्ञ से सलाह ले लेना उचित होगा अन्यथा ऊपर बताए गए विभिन्न प्रकार के लाभों में से हानि की भी संभावना बनी रहती हैं

अन्य सभी लग्नों में सूर्य की स्तिथि देखनी अति-आवश्यक हैं ।।

रत्नों की रानी मोती :-

रत्नों की दुनियाँ में यदि राजा माणिक्य हैं तो मोती को रत्नों की रानी कहा गया हैं । मोती माता शक्ति की प्रतिनिधित्व करती हैं ये शिव के प्रियतमा जगत माता आदिशक्ति की शक्ति परिलक्षित होती हैं , मातृ भाव को परिलक्षित करती हैं , माणिक्य यदि आत्मा हैं तो मोती आत्मा को प्राणवायु प्रदान करने वाली शक्ति हैं भाव हैं हृदय को परिलक्षित करने वाली रत्न मोती हैं । माता के ममता को प्रदर्शित करने वाली कोमलता को दर्शाने वाली शक्ति की परिसूचक हैं व्यक्ति का आत्मबल हैं हृदय का आत्मबल हैं ।

कारक ग्रह चंद्र हैं माता पर प्रभाव डालने वाला रत्न आत्मबल को बढ़ाने वाला सुंदरता मस्तिष्क को बल प्रदान करने वाला यात्रा करवाने वाला ग्रह चंद्र पर आधिपत्य रत्नों की रानी का हैं ।।

मोती धरण करने से लाभ :-

मानसिक क्षमता में वृद्धि

निर्णय लेने की क्षमता में वृद्धि

हृदय को मजबूत करना

पराक्रम में वृद्धि

आलस्य को दूर करना

रचनात्मकता को दिशा देना

प्रमुख तौर पर मानसिक शांति

भावनात्मक स्थिरता प्रदान करना

मानसिक रोगों पागलपन से मुक्ति के लिए

क्रोध के नाश के लिए

ट्रांसपोर्ट व मार्केटिंग के क्षेत्र में सफलता का कारक

जलीय तत्व के व्यापारिक क्षेत्र में वृद्धि हेतु

सुख समृद्धि और भौतिक तौर पर समृद्धि प्रदान करने वाला

कला के क्षेत्र में सफलता में सहायक

प्रेम को बढ़ाने में सहायक ।।

मूलतः रत्नों की रानी मोती सभी लग्नों के जातक जातिका के लिए प्रतिकूल प्रभाव रखने वाली होती हैं । सिंह धनु व कुम्भ लग्न को यदि छोड़ दिया जाए तो मेष वृषभ मिथुन कर्क कन्या तुला वृश्चिक मकर व मीन सभी लग्नों के जातक मोती धारण कर सकते हैं किन्तु चंद्र की स्तिथि की जांच किसी भी ज्योतिषविज्ञ से करवा लेनी चाहिए ।। क्योंकि ग्रहों की स्तिथि और ग्रहों का प्रभाव ही रत्नों के निर्णय में सबसे बड़े कारक सिद्ध होते हैं ।। जैसे सूर्य के रत्न माणिक्य पिता से संबंधित मामलों में सहायक होते हैं ठीक उसी प्रकार मोती माता से संबंधित मामलों में सबसे बड़े कारक सिद्ध होते हैं स्त्रीत्व के गुण प्रेम भाव सौहार्द को बढ़ाने वाले देखे जाते हैं ।। इन्ही सभी गुणों को देखते हुए रत्नों में मोती को रत्नों की रानी कहा गया हैं ।। मोती का विशेष गुण ये हैं की जिस प्रकार माता का भाव अपने सभी संतानों के लिए अनुकूल प्रभाव रखते हैं मोती भी ठीक उसी प्रकार अपना अनुकूल प्रभाव रखते हैं ।।

रत्नों का सेनापति मूँगा  :-

मूंगा को रत्नों का सेनापति कहा गया हैं मूँगा को सेनापति मानने व कहने का तात्पर्य भी बड़ी अनोखी हैं वास्तव में मूँगा सेनापति ही हैं । अनुशासन पराक्रमी किसी भी समस्याओ के निवारण हेतु रास्ते निर्धारित करने की अद्भुत क्षमता से परिपूर्ण मूँगा सर्वो-चित हैं ।। किसी भी प्रशासनिक स्तर पर कार्य को पूर्ण करने के लिए अनुशासन धैर्य पराक्रम शारीरिक क्षमता की विशेष तौर पर जरूरत होती हैं मूँगा इन्ही सभी जीवन तुल्य सामाजिक घटकों पर अपना प्रभाव स्थापित करता हैं । रक्त वर्ण होने के कारण मूँगा का प्रभाव रक्त पर विशेष प्रभाव रखता हैं । कार्य करने की दक्षता के लिए रक्त का होना और शारीरिक ढाँचे  पर सुदृढ़ होना बेहद अनिवार्य हैं ।

मूँगा धारण करने के लाभ :-

अनुशासनात्मक तौर पर कार्य करने की क्षमता में वृद्धि

प्रशासनिक स्तर पर कारवाई करने की क्षमता देना

नियम संयम धैर्य में वृद्धि

रक्त की कमी को दूर करता हैं

साहस को बढ़ाना

सरकारी नौकरी में प्रशासनिक स्तर पर लाभप्रद

कार्य दिशा का निर्धारण करता हैं

सैन्य रणनीतिकार बनाता हैं

पुलिस सिपाही सेना व रक्षा से जुड़े कार्यों में सहायक

कार्य करने की क्षमता में वृद्धि करने वाला

निडरता आंतरिक भय को नष्ट करने वाला

कार्यों में सफलता हेतु मेहनत करने की क्षमता देते हैं

लक्ष्य प्राप्ति में बेहद ही कारक रत्न हैं मूँगा ।।

ये सभी प्रकार के गुण मूँगा धारण करने वाले जातक जातिका के अंदर देखने को मिल सकते हैं । परंतु इन सभी चीजों के एक दोष ये भी हैं की क्रोध की अधिकता ऐसे व्यक्ति में ज्यादा देखने को मिल सकती हैं ।। ये प्रशासनिक मूल्यों पर अपने व्यक्तित्व का निर्धारण करने वाले होते हैं , जो कही न कही सीधे कार्य करने वाले होते हैं । यदि माणिक्य राजा और पिता हैं मोती रानी और माता हैं तो मंगल सेनापति और भाई हैं ।।

सामान्यतः मेष कर्क सिंह वृश्चिक धनु मकर व मीन लग्न के जातकों के लिए मूँगा सर्वो-चित्त हैं इन लग्नों के जातक मूँगा धारण कर सकते हैं किन्तु ध्येय वाली बात पुनः ज्योतिषीय गणना करवाना उचित ।। बिना ज्योतिषीय परीक्षण के किसी भी लग्न के जातकों को किसी भी प्रकार का रत्न धारण नहीं करनी चाहिए ।। क्योंकि हर-एक व्यक्ति का प्राकृतिक बनावट अलग अलग होती हैं इसी कारण से ग्रहों के प्रभाव भी अलग अलग होते हैं अतः किसी ज्योतिषविज्ञ से उचित सलाह व दिशा निर्देश ले कर के ही किसी रत्नों का निर्णय करना चाहिए ।।

रत्नों के राजकुमार हैं पन्ना :-

रत्नों की दुनियाँ में राजा पिता यदि माणिक्य हैं रानी व माता मोती हैं सेनापति व भाई मंगल हैं तो वही पन्ना राजकुमार व पुत्र हैं चंचल बुद्धि बुद्धिमान थोड़े मस्ती करने वाले स्वभाव से परिलक्षित धन व ऐश्वर्य से परिपूर्ण माता पिता के चहेते थोड़े भोगी किस्म के प्रभाव से परिलक्षित पन्ना धन ऐश्वर्य के प्रदाता मानसिक कार्य में दक्ष हैं । पन्ना का प्रभाव जातक व जातिका के मस्तिष्क पर बेहद ही अनुकूल प्रभाव डालते हैं इनका सबसे ज्यादा प्रभाव वाणी पर देखने को मिलता हैं । वाणी में सटीकता धर्म कार्य हेतु ज्ञान की सिद्ध वाणी के कारक व घटक हैं ।

पन्ना धरण करने के फायदे :-

बुद्धि में प्रखरता

शिक्षण कार्यों में दक्षता

वाणी में चपलता

मुख से संबंधित दोष का दूर होना

मीडिया के कार्यों में परिपूर्णता

तंत्र साधन में वाक सिद्धि प्रदाता

शोध कार्यों में सफलता

ज्योतिष ज्ञान विज्ञान के कार्यों में सहायक

लेखन कार्य में दक्षता

भौतिक और अभौतिक सुखों की प्राप्ति

इज्जत प्रतिष्ठा मान सम्मान की प्राप्ति

विद्वता प्रदान करने वाला

चमड़े से जनित रोग को नाश करने वाला

राजनीति में सफलता का सबसे बड़ा कारक ।।

पन्ना वास्तव में बौद्धिक क्षमता को बढ़ा देता हैं जिससे वाणी दृष्टि भाव विचार में सकारात्मक परिवर्तन आता हैं ज्योतिषीय शोध में इस बात की पुष्टि कई बार हो चुकी हैं । पन्ना की पराकाष्ठा इतनी हैं की अकेला पन्ना ही व्यक्ति के भाग्य को बदल सकता हैं चाहे वो जातक या जातिका खुद करें या अपने द्वारा उत्पन्न संतति द्वारा करवा लें । क्योंकि ऐसे जातक जातिका का बौद्धिक क्षमता अपार होता हैं ये कूटनीतिज्ञ होते हैं राजनीतिज्ञ हो सकते हैं । किन्तु , पन्ना कूटनीति को धारण करने वाला होता हैं ।

पन्ना बुध का रत्न हैं जो मुख्यतः वृषभ मिथुन सिंह कन्या तुला मकर व कुम्भ लग्न में जन्मे जातक व जातिका पर बेहद ही प्रभावशाली हैं ।। इन लग्नों में जन्मे हुए जातक व जातिका के जीवन में पन्ना सकारात्मक पहलू को जागृत कर देता हैं फिर भी यदि पन्ना धारण करने का पहलू हो तो किसी ज्योतिषविज्ञ  से उचित सलाह ले लेना उचित होगा ।।

रत्नों में राजा के गुरु (राजगुरु)  हैं पुखराज :-

क्या कहे पुखराज के बारे में ! एक माणिक्य ही तो सार्वभौम की  धुरी पर पर्याप्त हैं सोचने वाली बात हैं जो माणिक्य को संचालित करने की जो क्षमता रखे वो हैं पुखराज । देव गुरु वृहस्पति का रत्न पुखराज ऐसे ही हैं जिनके हाथ में सृष्टि के निर्माण का डोर भी हैं और विनाश का डोर भी ये नैसर्गिक रूप से सबसे ज्यादा शुभ ग्रहों में आते हैं । सृष्टि की हर-एक तथ्य इनकी सनिध्य में हैं चाहे ज्ञान हो विज्ञान हो देवता हो या सम्पूर्ण ब्रह्मांड की शक्ति हो वंश को आगे बढ़ाने की सामर्थ्य भी गुरु के पास ब्रह्मांडीय सत्ता का स्वामी गुरु को ही माना गया हैं ।। चाहे भौतिक तौर पर हो या अभौतिक तौर पर जन्म से मृत्यु तक के स्वरूप में गुरु की महिमा ही सर्वोच्च हैं । यही हैं पुखराज जिसकी भी कुंडली में गुरु अशुभ हो जाते हैं वो सबकुछ पाकर के भी कुछ नहीं पाता गुरु की ही महिमा हैं। जो पुरुष जातक के जीवन में ज्ञान विज्ञान सामर्थ्य प्रदान करते हैं यहाँ तक की गुरु की ही कृपा से आगे का वंश संतान की प्राप्ति हो जाती हैं ।। ऐसे हैं रत्नों के राज गुरु पुखराज ।।

पुखराज रत्न के फायदे :-

ज्ञान विज्ञान में महारथ प्रदाता

निर्माण और विनाश का सामर्थ्य प्रदाता

वैज्ञानिक तथ्यों से साक्षात्कार करवाने वाला

स्त्री जातिका के लिए पति के कारक

पुरुष जातक के लिए संतति कारक

विद्यार्थियों के लिए शिक्षा

नौकरी पाने वालों के लिए नौकरी प्रदाता

पंडितों के लिए पांडित्य ज्ञान प्रदाता

वैज्ञानिकों के लिए विज्ञानिक सिद्धान्त प्रदाता

हर-एक धुरी पर सामर्थ्यवान बनाने का सामर्थ्य

सत्ता समृद्धि भौतिक व अभौतिक सुख प्रदाता

धर्म की डोर को पकड़ने वाला

व्यक्ति के सर्वमनोकामना पूर्ति के कारक

शिक्षण, ज्योतिष, तंत्र, मंत्र, ज्ञान, विज्ञान, के क्षेत्रों में सफलता के कारक

ये पुखराज की ही महिमा हैं जो शिक्षक भी बनाते हैं ज्योतिष भी तंत्र और मंत्र के ज्ञाता भी ज्ञानी और विज्ञानी भी बनाते हैं ये स्त्री के घर को भी बसाते हैं और आगे के वंश को भी संतति प्रदान करके बढ़ाते हैं ।

पुखराज मूलतः मेष वृषभ कर्क सिंह वृश्चिक धनु कुम्भ व मीन लग्न के जातक व जातिका पुखराज धारण कर सकते हैं किन्तु लग्न में गुरु की स्तिथि देख लेनी उचित होंगी ।। क्योंकि गुरु यदि पीड़ित हुए तो परिणाम आपके ऊपर उलट हो सकता हैं । इसीलिए किसी ज्योतिषविज्ञ से सलाह ले लेना उचित होगा ।।

रत्नों की आत्मा अर्थात मूल तत्व हैं हीरा :-

रत्नों का आत्मा हैं हीरा भौतिक सुख समृद्धि काया निर्माण तत्व के अधिष्ठाता रत्नों में हीरा सर्वोच्च स्थान को प्राप्त हैं एक तरफ यदि पुखराज जैसे रत्न का प्रभाव हैं तो दूसरी और हीरा का राक्षस गुरु शुक्राचार्य का आधिपत्य हो तो उससे बेहतर कौन हो सकता जीवन दायनी तत्व के ऊपर अपना प्रभाव रखते हैं संतति निर्माण में भौतिक सुख में गाड़ी बांग्ला जमीन संतान पुरुष के विवाह के भौतिक सुख समृद्धि के कारक हैं भाग्य निर्माता सुंदर काया के स्वामी हैं दैनिक जीवन काल खंड में मौजूद तमाम भौतिक कारकों को प्रदान करने का सामर्थ्य रखने वाले रत्न हैं ।

शुक्र की स्तिथि निर्धारित करती हैं व्यक्तिगत उत्थान की ।।  भौतिक काया शरीर निर्माण के तत्व पर जिसका प्रभाव हो चाहे स्त्री हो या पुरुष स्त्रीत्व और पुरुषतत्व पर प्रभाव जिनका हो वो साधारण नहीं हो सकता वर्तमान समय में हीरा का बेहद ही महत्वपूर्ण स्थान हैं क्योंकि ये आधुनिक काल खंड के हर-एक भौतिक वास्तु प्रदान करके व्यक्ति के वर्चस्व को व्यक्तिगत सामर्थ्य से निर्धारित करते हैं । हीरा धारण करने वालों के पास कभी भी धन जमीन स्त्री कार्य सम्वन्धित समस्याएं नहीं होती यदि होती भी हैं तो जातक या जातिका इतनी सामर्थ्यवान होते/होती हैं की वो मौजूद संसाधनों का उपयोग करके उस पर हमेशा विजय श्री को प्राप्त होते व होती हैं । हीरा धारण करने वालों के ऊपर माहामाया लक्ष्मी अपनी कृपा हमेशा बनाए रखने की कोशिश करती हैं ।

हीरा पहनने के फायदे :-

जमीन जायदाद प्रदाता हैं हीरा

गाड़ी बांग्ला प्रदाता हैं हीरा

सुंदरता प्रदान करता हैं हीरा

व्यक्तिगत उत्थान भौतिक तौर पर करता हैं हीरा

प्रेम प्राप्ति करवाता हैं हीरा

भौतिक संसाधन प्रदाता

वीर्यदोष को खत्म करता हैं हीरा

आकर्षण सम्मोहन वर्चस्व को निर्धारित करता हैं हीरा

लगभग सम्पूर्ण कला के क्षेत्र में सफलता

मौडलिंग के क्षेत्र में सफलता

पुरुष के विवाहिक व शारीरिक सुख का कारक हैं

शत्रुओ का नाश करता हैं हीरा

भाग्य निर्माण-कर्ता है हीरा

आधुनिक काल खंड में व्यक्ति का उत्थान और सामर्थ्य उसके धन दौलत जमीन जायदाद से की जाती हैं रूप रंग से की जाती हैं व्यक्तिगत छवि जो व्यक्ति के आकर्षण व सम्मोहन द्वारा वर्चस्व को निर्धारित करे उससे की जाती हैं अर्थात हीरा इन सभी वस्तुओ की आत्मा हैं जिसकी प्राप्ति करवा देती हैं । चाहे स्त्री हो या पुरुष शारीरिक व मानसिक प्रेम की प्राप्ति का जरिया हीरा ही बनता हैं । मूलतः वृषभ मिथुन कर्क कन्या तुला व मकर लग्न में जन्मे जातक के लिए हीरा संजीवनीप्रद हैं ।। विशेष तौर पर जातक को अपनी कुंडली किसी ज्योतिषविज्ञ से दिखा लेनी चाहिए तत्पश्चात रत्न धारण करें ।।

नीलम अमूल्य संसाधन के अधिपति :-

नीलम को अमूल्य संसाधन का आधिपत्य माना गया हैं । किसी भी व्यक्ति का कर्म उसका अमूल्य संसाधन होता हैं जो व्यक्ति को उसके कर्म अनुसार फल प्रदान करता हैं । भाग्य एवं वर्चस्व की वृद्धि करने वाला एवं तीव्र गति से फलित व्यक्ति के कर्म ही होते हैं इसीलिए नीलम धारण करने वाले को तीव्र गति से सफलता मिलता हैं ।। मनोकामना को पूर्ति के कारक निर्धारित लक्ष्य द्वारा निर्धारित करने का सामर्थ्य नीलम में हैं । नीलम की महिमा इतनी हैं की ये सभी रत्नों में से सबसे तीव्र गति से फलित होते हैं ।। जनता का समर्थन व व्यक्ति के वर्चस्व में लोकप्रियता का कारक नीलम होता हैं । नीलम का प्रभाव कर्म प्रधान हैं कर्म की प्रधानता कार्य से हैं नीलम धारण करने वालों को कार्य में सफलता दिलाने वाला हैं  नीलम लक्ष्य प्राप्ति करवाता हैं ।

नीलम धारण करने के फायदे :-

कार्य क्षेत्र में सफलता

आकस्मिक लाभ

नौकरी में पददोन्नति

व्यक्तिगत वर्चस्व

राजनैतिक क्षेत्र में जनता का समर्थन

निर्धारित लक्ष्य की प्राप्ति

मनोकामना पूर्ति

लोकप्रियता

नयायधीश वकालत व कोर्ट से सम्वन्धित कार्य में सफलता ।

नौकरशाही में सफलता

सेवादार का सुख

वैराग्य की प्राप्ति

शत्रुओं का नाश

ये सभी नीलम धारण करने वालों को मिलती हैं । नीलम व्यक्तिगत तौर पर व्यक्ति के कर्म को निर्धारित करता हैं और उसी आधार पर फलित होता हैं ।। मुख्यतः वृषभ मिथुन कन्या तुला मकर कुम्भ लग्न में जन्मे जातक  नीलम धारण कर सकते हैं किन्तु, इससे पहले शनि की स्तिथि कुंडली में देखना अति आवश्यक हैं । शनि मूल रूप से व्यक्ति को बढ़ाता हैं मित्रता को बढ़ाता हैं भाग्य का धन कार्य को बनाता हैं।  शनि के प्रभुत्व वाला रत्न नीलम इनको प्रदान करता हैं ।। भाग्य की वृद्धि व भाग्य निर्माण कार्य के द्वारा करता हैं नीलम धारण करने वालों को अपने कर्म पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती हैं क्योंकि जिनका आधिपत्य कार्य व कर्म पर हैं मेहनत पर हैं वो कर्माधिकारी कुछ दंड दे सकते हैं ।।

ASTROLOGER :- MR.R.K.MISHRA BHAGALPUR ASTROLOGY & RESEARCH CENTER
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