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मांगलिक दोष या योग ?

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मांगलिक दोष या योग ?

प्रश्न :- कुंडली में मंगल या मांगलिक दोष क्या हैं ?

प्रश्नोत्तरी :- मंगल दोष या मांगलिक दोष दोनों एक ही हैं , वनस्पत एक ही तथ्य के दो अलग अलग परिचायक हैं । मंगल से संबंधित उत्पन्न दोष और योग के कारण भिन्न भिन्न जातक के कुंडली में मंगल से संबंधित दोष व योग देखने और सुनने को मिलता हैं । विवाह के संबंधित मामलों में मांगलिक दोष देखने की परंपरा ज्योतिष के माध्यम से प्राचीन काल से ही चली आ रही हैं । जब किसी जातक  की जन्म-कुंडली में मंगल के गुण से प्रभावित जातक दृश्य में आता हैं तो ज्योतिष विज्ञों द्वारा उसे मांगलिक कहा जाता हैं । अर्थात , मंगल के गुणों से प्रभावित व्यक्ति मांगलिक होता हैं और यदि स्त्री हो तो वो मंगली होती हैं ।

                                                          ज्योतिष-विज्ञ आर के मिश्र जी कहते हैं की मंगल से संबंधित दोष व योग को देखने व समझने हेतु अन्य ग्रहों की भांति मंगल के गुण स्वरूप व स्तिथि तीनों को भली-भाँति अवलोकन करनी चाहिए । मंगल स्वभावतः एक तामसिक विचारों व स्वभाव का ग्रह हैं । अधिकार से सैन्य कारवाई हेतु मंगल जिम्मेदार हैं , राशि के अनुसार एक अग्नि तत्व की राशि (मेष) और एक जल तत्व की राशि (वृश्चिक) मंगल की हैं । जल तत्व के राशि का आधिपत्य हृदय भाव से हैं अग्नि तत्व की राशि का प्रभाव मस्तिष्क से हैं । प्राकृतिक तौर पर यदि देखा जाए तो मस्तिष्क की गर्मी और हृदय की शीतलता यदि दोनों अपने अपने स्वरूप में मौजूद हो तो व्यक्ति को आयुष प्रदत्त होता हैं । मंगल का स्वभाव यदि तात्विक स्तर से अवलोकन किया जाए तो मंगल का स्वभाव ठीक उसी प्रकार का हैं जैसे की चूल्हे पर गरम खौलता हुआ जल हो ।  मंगल ग्रह का शृंगार क्रोध हैं । सैन्य व्यक्तित्व होने के कारण क्रूर स्वभाव से परिलक्षित हैं , युद्ध करने के शौकीन मंगल ग्रह हैं । जिस प्रकार एक सेना का अधिपति अपने सैन्य टुकड़ी के साथ होती हैं और जिस जगह होती हैं वहाँ किसी न किसी प्रकार से युद्ध की स्तिथि बनती हैं । मंगल ठीक उसी प्रकार की स्तिथि अपने निरीक्षण में स्थापित करता हैं । जब भी मंगल जैसे क्रूर ग्रह अपने विरोधी के गृह में होते हैं तो वो वहाँ तांडव मचाते हैं । चाहे वो वैचारिक ही क्यों न हो या स्तिथिवश ही क्यों न वो विरोधी हो । ऐसी स्तिथि जब किसी जातक व जातिका की कुंडली में बनता हुआ प्रतीत हो मंगल से संबंधित मांगलिक दोष बनता हैं । यही यदि विवाह के भाव में या विवाह भाव के स्वामी पर इनकी क्रूर प्रभाव स्थान से दृष्टि से या युति से किसी भी प्रकार से स्थापित होती हुई दिखती हैं तो मंगल से संबंधित मांगलिक दोष बनता हैं , जो विवाहिक जीवन में कष्ट का कारण बनता हैं । क्या आपकी भी कुंडली मंगल दोष होने के कारण आप मांगलिक या मंगली  बनते हैं ? जानने हेतु आज ही संपर्क करें उचित समाधान जन्म कुंडली अवलोकन पश्चात दिया जाएगा ।।  

                                                                                                             जय गुरुदेव     जय महाकाल

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