गुणांक के चिन्ह का प्रयोजन :-
वास्तव में गुणांक के चिन्हों का प्रयोजन भौतिक तौर पर तात्विक दृष्टिकोण से विरोधाभास के सांकेतिक स्वरूप को चिह्नित करने का साधन हैं । जिसे लेखनी के माध्यम से एक रेखा पर दूसरे रेखा को विराजित करके दर्शाया जाता हैं । जिसे × द्वारा निर्दिष्ट किया जाता हैं । सामान्यतः गुणांक का प्रतीक चिन्ह नकारात्मकता की और इंगित करने वाली प्रतीक हैं ।
किन्तु , ज्योतिषीय दृष्टि कोण से व आध्यात्मिक दृष्टि से ये मूल रूप से चार दिशाओ पूर्व दक्षिण पश्चिम व उत्तर के माद्य दिशाओ का सूचक अग्नि नैऋत्य वायव्य व ईशान रूपी प्रतीक के रूप में भी ज्योतिषविज्ञ व सिद्ध पुरुष ज्ञात व अज्ञात रूप से इसे देखने की कोशिश करते हैं ।
उपरोक्त कथनों की पुष्टि बेहद ही सूक्ष्म रूप से हस्तरेखा के माध्यम से ज्ञातव्य हैं जिसकी विशेष रूप से तकनीकी स्तर पर पूर्ण विश्लेषण करना संभव नहीं किन्तु फिर भी एक अल्प प्रयास निम्नलिखित रूप से किया गया हैं ।
गुणांक का चिन्ह केंद्र रूपी भाव पर चार प्रमुख दिशाओ के केंद्र दिशाओ के सूचक के रूप में भी देखा जा सकता हैं । जिसमे किसी भी महानुभाव विद्वतजनों को किसी प्रकार की कोई समस्या नहीं होनी चाहिए । वास्तव में ये चारों दिशाएँ परेशानी के सूचक अपने मूल स्वभाव के कारण बनते हैं । तत्व सिद्धांत के भी माध्यम से सूक्ष्म स्तर पर इसे यदि देखा और समझा जाएँ तो उपरोक्त संबधित दिशाओ में अलग अलग तत्वों व प्रदार्थों व वास्तुओ का अपना अपना प्रभाव बदलता हैं ।
ज्योतिष का एकल सिद्धांत की ब्रह्मांड में हर एक वस्तुओ का स्तिथि अनुसार व रूप रंग अनुसार व क्रियात्मक प्रारूप अनुसार अलग अलग स्तिथि पर भिन्नता रूपी परिणामिक स्वरूप को निर्दिष्ट करते हैं । उपरोक्त ज्योतिषीय सिद्धांत चाहे हस्तरेखा के माध्यम से समझा जाए या फिर वैदिक ज्योतिष के माध्यम से या फिर वास्तु विशेषज्ञ के रूप में समझा जाएँ सामान्यतः एक प्रारूप ही दृष्टि में प्रतीत होता हैं ।
उपरोक्त संबंधित सूत्रों में गुणांक का चिन्ह जिस स्थान व दिशा की और इंगित करता हैं उपरोक्त स्थान बल पर उस दिशा से संबंधित स्थानों का प्रभाव देखने को मिलता हैं । जैसे यदि गुणांक का चिन्ह यदि हस्तरेखा में गुणांक का केंद्र विंदु चंद्र पर्वत हो तो समान्य फलादेश गुणांक के कारण मनो-विकार का सूचक होगा । किन्तु , यदि चंद्र पर्वत पर गुणांक के चिन्हों के माद्यम से सूर्य चंद्र व मंगल शुक्र की और निर्दिष्ट गुणांक रेखाए हो तो यही गुणांक के चिन्ह सफलता के सूचक परेशानियों के साथ बन जाएंगे । राहू प्रबंधित क्षेत्र से किसी भी प्रकार की कोई रेखाए व चिन्हों का किसी भी प्रकार से संबंध नहीं बनने चाहिए ।
वास्तव में हस्त रेखा एक विशेष माद्यम हैं इस गणितीय प्रति मानक चिन्हों के द्वारा हमारे जीवन में पड़ने वाले प्रभाव को समझने का । वास्तविकता इतनी हैं मेरी की मैं आज उस स्तिथि से सामना कर रहा हूँ जिसमे मेरे लिए साहित्य और गणित के सिद्धांतों में कोई भिन्नता नहीं हैं । विज्ञान और साहित्य में कोई भिन्नता नहीं दिखती । विश्व के किसी भी भाषाओ को देखने की कोशिश करता हूँ तो उसमे भी स्वर सिद्धांत के अनुसार किसी प्रकार की कोई भिन्नता नहीं दिखती । मैं कला शास्त्र को विज्ञानिक आधारविंदू पर खड़ा पाता हूँ ।
बाबा अनांदेश्वरनाथ नाथ महादेव आप सभी की मनोकामना को पूर्ण करें ऐसी मेरी प्रार्थना हैं ।
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